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राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड

गुजरात में गोबर-धन से मिलेगी क्लीन एनर्जी, एनडीडीबी और सुजुकी ने मिलाया हाथ

गुजरात में गोबर-धन से मिलेगी क्लीन एनर्जी, एनडीडीबी और सुजुकी ने मिलाया हाथ

आम तौर पर खेती करने वाले लोग कृषि क्षेत्र में गाय के गोबर का उपयोग करते हुए नजर आते हैं, क्योंकि गाय के गोबर से बने हुए खाद में मौजूद पोषक तत्व फसल के उपज को बढ़ाव देते हैं। मानव सभ्यता के जन्म से ही गाय के गोबर का उपयोग प्राकृतिक खाद के रूप में किया जाता रहा है। व्यापक पैमाने पर अब गाय के गोबर से जैविक खाद बनाई जा रही है, दूसरी तरफ देश का प्रमुख राज्य गुजरात गाय के गोबर से स्वच्छ ऊर्जा और जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए जबरदस्त रणनीति तैयार कर रहा हैं। बीते दिनों नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी (राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (NDDB - National Dairy Development Board)) और जापानी कार निर्माता कंपनी सुजुकी (Suzuki) ने साथ मिलकर दो बायोगैस संयंत्र (Biogas plant) बनाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।

गुजरात में दो बायोगैस प्लांट लगाने की तैयारी

इस वर्ष सुजुकी का भारत में 40 साल पूरे होने पर पिछले दिनों गुजरात में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में एनडीडीबी और सुजुकी के बीच दो बायोगैस प्लांट बनाने को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। गुजरात पहले से ही रीन्यूएबल और क्लीन एनर्जी (Renewable and Clean Energy) उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है।


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राज्य में सौर ऊर्जा विकल्पों पर भी काफी काम किया गया है| अब, गोबर गैस प्लांट यानी बायो गैस उत्पादन के जरिये एक बार फिर गुजरात पूरे देश के लिए एक मिसाल बन कर सामने उभरेगा। गौरतलब है की देश में जितनी बड़ी संख्या में दुधारू पशुओं की संख्या है और आम लोग भी जितनी बड़ी संख्या में पशुपालन के कार्य से जुड़े हुए हैं, उसे देखते हुए अगर गोबर गैस प्लांट के विकल्प पर इसी संजीदगी से हर राज्य विचार करे, तो देश रीन्यूएबल एवं क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की क्षमता रखता है।

कई राज्यों ने शुरू कर दिया है पशुपालकों से गोबर खरीदने का काम

बीते दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी यह घोषणा की थी कि राज्य सरकार पशुपालकों से गाय का गोबर खरीदेगी। सरकार इस योजना का विस्तार अब अनेक शहरों में भी कर रही हैं क्योकि गाय का गोबर एक सस्ता और आसानी से उपलब्ध जैव संसाधन है। गाय के गोबर में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने की प्राकृतिक क्षमता होती है। वास्तव में छतीसगढ़ की सरकार राज्य में लगभग 500 से अधिक बॉयोगैस प्लांट स्थापित करने की योजना पर पहल कर रही हैं।
अगले 5 सालों में तीन गुना बढ़ जाएगी दूध उत्पादकों की कमाई

अगले 5 सालों में तीन गुना बढ़ जाएगी दूध उत्पादकों की कमाई

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। दुनिया के कुल दूध उत्पादन का लगभग 23 प्रतिशत दूध भारत में उत्पादित होता है। देश में वर्ष 2014-15 में 146.31 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था जो अब बढ़कर 2020-21 में 209.96 मिलियन टन हो गया है। लेकिन इसके साथ ही भारत में दूध की खपत भी दिनोदिन बढ़ी है। भारत में दूध की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए किसान ज्यादा से ज्यादा उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, इसके साथ ही किसानों को दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अपनी आय को भी बढ़ाने का दबाव है, जो एक अलग चुनौती है। राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड यानी एनडीडीबी (NDDB – National Dairy Development Board) के अध्यक्ष मीनेश शाह (Shri Meenesh C Shah) ने कहा है कि देश के लाखों किसान इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं और इस व्यवसाय में जुड़कर वो दुग्ध क्षेत्र में क्रान्ति लाने का माद्दा रखते हैं। उन्होंने कहा कि देश में अभी दूध से होने वाला राजस्व 5,575 करोड़ रुपये है, जिसके अगले 5 साल में तीन गुना तक बढ़ने की संभावना है, अगले 5 सालों में दूध से होने वाला राजस्व 18,000 करोड़ रूपये तक पहुंच सकता है।


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मीनेश शाह ने बताया कि दुग्ध उत्पादक संघों ने बीते दशक में दूध उत्पादकों को लगभग 27,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जो एक बहुत बड़ी रकम है। इस पैसे से किसानों के जीवन में खुशहाली आई है और देश के किसान बेहतर जीवनशैली जीने की ओर अग्रसर हुए हैं। जब किसानों के पास अतिरिक्त पैसा आता है तो उनकी आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति में सुधार होने के साथ-साथ ही उनके बच्चों की शिक्षा में भी सुधार होता है। पैसे की मदद से किसानों के बच्चे भी उच्च शिक्षा पाने के लिए आगे जाते हैं। मीनेश शाह ने कहा, देश में वर्तमान समय में दूध उत्पादन प्रति दिन 100 लाख लीटर से भी अधिक हो रहा है, जो एक रिकॉर्ड है। मीनेश शाह ने ग्रेटर नोएडा में वर्ल्ड डेयरी समिट (IDF World Dairy Summit 2022) को सम्बोधित करते हुए कहा, "राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड अपनी शाखा 'राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड डेयरी सर्विसेज' (NDDB Dairy Services (NDS)) के माध्यम से ऐसे लोगों को सुविधा प्रदान करेगा, जो दुग्ध उत्पादन को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड का लक्ष्य हर जिले में दूध उत्पादन संगठन का विस्तार करना है।" मीनेष शाह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि देश का हर गांव और कस्बा प्रगति के पथ पर आगे बढ़े और दुग्ध उत्पादक संघों से बेहतर तरीके से जुड़ पाए।

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मीनेश शाह ने उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं को असली स्टार्टअप बताया है। उन्होंने कहा कि भारत में उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाएं कई सालों से काम कर रही हैं, देखा जाए तो सही मायनों में वो असली स्टार्ट-अप हैं, जबकि आधुनिक स्टार्ट-अप की संकल्पना कुछ सालों से ही प्रचलन में आयी है। भारत में अभी तक लगभग 20 उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाएं काम कर रही हैं, जिनसे 750,000 किसान जुड़े हुए हैं, जिनमें 70 प्रतिशत महिलायें हैं। भारत की महिलायें अपनी कार्यकुशलता के साथ ही रोज नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। पिछले साल इन 20 संस्थाओं ने कुल मिलाकर लगभग 5,600 करोड़ रुपये का कारोबार किया था।


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मीनेश शाह ने अपने सम्बोधन में दूध किसानों की सफलता की कहानी भी बताई। उन्होंने कहा कि लगातार मेहनत और लगन के कारण दूध किसानों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया है। किसानों ने दूध के बिज़नेस से पिछले 10 सालों में 27,500 करोड़ रुपये अर्जित किये हैं। इसके साथ ही पिछले 10 सालों में किसानों ने इस रकम में से 175 करोड़ रूपये जमा भी किये हैं। भारत में किसानों से दूध की खरीददारी 40 लाख लीटर प्रतिदिन से ज्यादा पहुंच गई है, जो एक कीर्तिमान है।

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मीनेश शाह ने जोर देते हुए कहा कि, सरकार का उद्देश्य दूध किसानों का उत्थान करने के साथ ही दुग्ध उत्पादन को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाना है। सरकार किसानों के लिए वित्तीय सहायत प्रदान कर रही है। जिसमें राष्ट्रीय डेयरी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ( National Rural Livelihood Mission - NRLM ) जैसी विभिन्न योजनाओं को शामिल किया गया है। किसान दूध उत्पादन के मामले में जल्द ही अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं, वो इस लक्ष्य से बस कुछ ही कदम दूर हैं। दूध उत्पादन में इन दिनों लगभग 5 लाख महिला किसान काम कर रही हैं, जिन्होंने दूध से होने वाली आय को 85 प्रतिशत तक बढ़ाने में योगदान दिया है। यह महिलाओं की सशक्तिकरण का नया उदाहरण है, जिसके कारण महिलायें अपने सामाजिक और आर्थिक स्तर को ऊपर ले जा रही हैं।
हरियाणा की रेशमा भैंस ने 34 किलो दूध देकर बनाया सबसे ज्यादा दूध देने का रिकॉर्ड

हरियाणा की रेशमा भैंस ने 34 किलो दूध देकर बनाया सबसे ज्यादा दूध देने का रिकॉर्ड

ये भैंस हरियाणा के कैथल जिले के बूढ़ा खेड़ा गांव के तीन भाइयों संदीप, नरेश और राजेश की है | आपको बता दें की रेशमा का नाम सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंसो मैं शामिल हैरेशमा को सरकार की तरफ से मिल चुके है कई इनाम, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की तरफ से रेशमा नाम की भैंस को 33.8 लीटर दूध देने का रिकॉर्ड कायम करने का सर्टिफिकेट मिल चूका है | रेशमा रोजाना 33.8 लीटर दूध देकर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है रेश्मा से पहले हरियाणा के हिसार जिले के किसान सुखवीर ढांडा की भैंस सरस्वती ने 33 लीटर दूध दे कर ये रिकॉर्ड बनाया था | इस रिकॉर्ड को कैथल जिले की रेशमा भैंस ने 33.8 लीटर दूध दे कर खुद के नाम कर लिया है | चौथी बार 2022 में रेशमा को मां बनने पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस का सर्टिफिकेट भी दिया.| 

रेशमा भैंस के दूध में कितना फैट है और किस बयात में कितना दूध दिया आइये जानते है |

  • इसके दूध की फैट की गुणवत्ता 10 में से 9.31 है
  • रेशमा भैंस के मालिक संदीप बताते हैं कि रेशमा ने पहली बार जब बच्चे को जन्म दिया तो 19-20 लीटर दूध दिया था
  • दूसरी बार उसने 30 लीटर दूध दिया.जब तीसरी बार 2020 में रेशमा मां बनी तब भी रेशमा ने 33.8 लीटर दूध देकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था.|
  • इसके बाद चौथी बार रेशमा 2022 में मां बनी तब उसे नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस का सर्टिफिकेट भी दिया


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क्या खाती है रेश्मा भैंस जाने डाइट के बारे में ?

  • रेश्मा भैंस के मालिक संदीप कहते हैं कि वह ज्यादा भैंसों का पालन नहीं करते हैं.| फिलहाल उनके पास तीन भैंसे ही हैं इन्हीं भैंसों की वह अच्छे तरीके से देखभाल करते हैं और उनसे बढ़िया दूध उत्पादन लेते हैं |
  •  रेशमा की डाइट के बारे में बताते हुए संदीप कहते हैं कि उसे एक दिन में 20 किलो पशु दाना खाने के लिए दिया जाता है साथ ही अच्छी मात्रा में हरा चारा भी उसकी डाइट में शामिल है
  • इसके अलावा अन्य जानवरों की तरह उसे दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए  मिनरल मिक्सचर को दाने में मिला कर दिया जाता है
  • रेशमा को तेल और गुड़ भी भोजन के तौर पर दिया जाता है

पाँचवे बयात में भी रेशमा का रिकॉर्ड है कायम |

संदीप के मुताबिक रेशमा भैंस 5 बार बच्चों को जन्म दे चुकी है.| 5 बयात में अभी भी उसकी दूध देने की क्षमता अच्छी-खासी बनी हुई है | हालांकि, अभी तक रेशमा का रिकॉर्ड टूट नहीं पाया है.कोशिश है ये रिकॉर्ड आगे भी बरकरार रहे| संदीप का कहना है की रेशमा 5 बच्चों को जन्म दे चुकी है. उसके बच्चे भी ऊंची कीमत पर बिकते हैं.